आपका सहयोग
यह अभियान बेहतर दुनिया के लिए
कोविड-काल के दौरान जितना बन पड़ा था, मैंने मरीज़ों की अपने स्तर पर मदद करने की कोशिश की थी। होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा के ज़रिये लगभग दो हज़ार सङ्क्रमितों का मैंने अपने स्तर पर इलाज किया था। उस दौरान मिली सूचनाओं के हिसाब से मेरे वायरल हुए पर्चों के सहारे भी डेढ़ से दो लाख लोगों ने अपनी और अपने पड़ोसियों की सफल चिकित्सा की थी। जिनकी प्राण-रक्षा हुई, उनमें से बहुत से लोगों ने आर्थिक सहयोग देने के लिए मुझसे सम्पर्क किया था, लेकिन तब मेरा उद्देश्य चिकित्सा से पैसा कमाना नहीं था, तो मैंने किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग लेना अस्वीकार कर दिया था। इस अस्वीकार का एक कारण यह भी था कि विवाह के पूर्व के सामाजिक जीवन में मेरा भरण-पोषण समाज से प्राप्त आर्थिक सहयोग से ही चलता रहा था, पर विवाह के कुछ समय बाद मैंने सङ्कल्प लिया कि भारतीय संस्कृति के अनुसार गृहस्थ धर्म का पालन यथाशक्य अपने श्रम से अर्जित संसाधनों के सहारे करने का प्रयास करूँगा।
ख़ैर, बाद के दिनों में कुछ ऐसे सुझाव आए कि यदि आर्थिक सहयोग देने वाले लोग पर्याप्त सङ्ख्या में हों, तो सामूहिक प्रयास से कुछ ऐसे उपक्रम भी शुरू किए जा सकते हैं, जो समाज को जागरूक बनाने के काम आएँ। यह सुझाव मुझे उपयोगी लगा तो काफ़ी सोच-विचार के बाद इस वेबसाइट पर आर्थिक सहयोग का यह पृष्ठ बनाने का फ़ैसला लिया। यहाँ पर आपका जो भी आर्थिक अवदान होगा, वह फिलहाल निम्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- इस वेबसाइट के अलावा यूट्यूब चैनल और सम्भव हुआ तो पत्रिका वग़ैरह का सञ्चालन।
- राष्ट्र-निर्माण का संस्कार देने वाले शिक्षा संस्थान का सञ्चालन। बीते पाँच साल से एक विद्यालय के सञ्चालन की ज़िम्मेदारी मैंने ली हुई है, जिसमें सामान्य वर्ग के अलावा लगभग दो सौ ग़रीब और मज़दूर वर्ग के बच्चे अध्ययनरत हैं। लक्ष्य है कि इन बच्चों की सङ्ख्या कम-से-कम एक हज़ार तक पहुँचे और इस विद्यालय से निकले हुए विद्यार्थी देश-समाज का नाम रोशन करने वाले नागरिक बनें।
- एक ऐसे स्वास्थ्य-साधना केन्द्र का सञ्चालन, जिसमें सभी पद्धतियों की निरापद बातें सम्मिलित हों और तन और मन, दोनों के स्वास्थ्य पर काम हो। इसके अन्तर्गत एक शोध-केन्द्र की भी परिकल्पना है, जो स्वास्थ्य के नाम पर भाँति-भाँति की बीमारियों की सौग़ात देने वाले आधुनिक चिकित्सा तन्त्र (मॉडर्न मेडिकल सिस्टम) में सार्थक बदलाव लाने का काम करे।
- एक संकल्पना है एक ऐसा संस्थान बनाने की, जिसमें ऐसे लोगों के आवास की व्यवस्था हो, जो देश-समाज के प्रति गम्भीरता से सोचते रहे हैं, पर वृद्धावस्था या सेवानिवृत्ति के बाद भी घर-परिवार के जञ्जाल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसे बुज़ुर्ग अगर चाहें तो इस संस्थान में आकर रहें, ताकि उनके व्यापक अनुभवों से देश-समाज का दिशा निर्धारक कोई समवेत् चिन्तन निकले। इसे वानप्रस्थ आश्रम, वृद्धाश्रम या और कुछ नाम दिया जा सकता है। मूल बात है कि यह आज के समय में नैमिषारण्य-जैसा सिद्ध हो।
ज़रूरी नहीं है कि ये सारे काम शुरू ही कर दिए जाएँगे। कुछ काम चल रहे हैं, बाक़ी जैसा संसाधन जुटेगा, उस हिसाब से आगे की सम्भावना बनेगी। अलबत्ता, यदि किसी को इनमें से कोई उपक्रम मन का लगे तो वह अपने स्तर पर शुरुआत कर सकता है। राष्ट्रहित में यह नेक काम होगा।
—सन्त समीर
हम मानते हैं कि सिर्फ़ भौतिक चीज़ें ही नहीं, अमूर्त भावनाएँ भी काम करती हैं। क्या ही अच्छा हो कि दान देते समय मन में यह भाव भी रहे कि मेरी दी हुई यह धनराशि समाज हित के किसी सार्थक उद्देश्य को साधने का साधन बन रही है।
प्रसिद्ध उक्ति है कि बूँद-बूँद से सागर भरता है। अच्छी भावना के साथ आप यहाँ जो भी आर्थिक सहयोग कर रहे हैं, वह वेबसाइट के उद्देश्यों के लिए आपका महान् योगदान है। उदारता के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
सम्पर्क : sampark@santsameer.com
सम्पूर्ण क्रान्ति के जनक जयप्रकाश नारायण के नाम पर बना यह विद्यालय कभी जर्जर हाल में था। आज इसे इस बेहतरी तक पहुँचाने में कामयाबी मिली है।