ईश्वर-अल्लाह जिसके नाम
सच—एक
इस दुनिया में सबसे बड़ी चीज़ है भाग्य। आपने ख़ुद को नहीं बनाया, न मैंने ख़ुद को बनाया…असल में इस सृष्टि में किसी ने भी ख़ुद को नहीं बनाया…इसलिए आप अगर हैं तो समझिए आपका भाग्य। भाग्य…भाग…यानी हिस्सा। आप अपने हिस्से भर में हैं, न इससे कम न ज़्यादा। ….किसी का हिस्सा हड़पने में कामयाब हो गए तो वह भी आपका हिस्सा!
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सच—दो
भाग्यवादी मूलतः डरपोक होता है।
(ज़रूरी नहीं कि भाग्य बाँचनेवाला भाग्यवादी भी हो।)
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सच—तीन
नास्तिकता सिर्फ़ मान्यता हो सकती है, सच्चाई नहीं।
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सच—चार
सब कुछ चमत्कार है। ईश्वर, अल्लाह या गॉड इस संसार का सबसे बड़ा चमत्कार है। इसके बारे में पहला चमत्कार यह है कि यह सृष्टि निर्माता है, फिर भी यह ख़ुद तभी बन पाता है, जब आदमी इसे बनाता है। ईश्वर को मन में बनाया जाए तो सातवें आसमान पर स्थापित किया जाता है और कङ्कड़-पत्थर से बनाया जाए तो मन्दिर वग़ैरह में स्थापित करना पड़ता है। बनाना-स्थापित करना ही काफ़ी नहीं है, प्राण-प्रतिष्ठा भी करनी पड़ती है, वरना बेजान रह जाए। ईश्वर के बारे में दूसरा चमत्कार यह है कि इसके ख़िलाफ़ कोई कुछ बोल दे तो अक्सर ख़तरे में पड़ जाता है और इसकी रक्षा के लिए भक्तों को लाठी-डण्डे-तलवार लेकर एकजुट होना पड़ता है। ईश्वर के प्रकारों में ‘अल्लाह’ सबसे ज़्यादा नाजुक बदन है और सबसे जल्दी ख़तरे में पड़ता है।
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—डिस्क्लेमर—
ये सभी बातें पूरी गम्भीरता से कही गई हैं, फिर भी किसी को कहीं कुछ व्यङ्ग्यात्मक दिखाई दे तो इसका ज़िम्मेदार वह ख़ुद है। कोई बात विरोधाभासी लगे तो पाठकगण अपना सिर धुनने को स्वतन्त्र हैं।