हृदयाघात में सञ्जीवनी
हार्ट अटैक वाले लक्षण पैदा हो रहे हों तो इस दवा की कुछ गोलियाँ जीभ पर रखकर चूसें। ज़रूरत लगे तो दस मिनट बाद दूसरी ख़राक भी ले सकते हैं। अस्पताल के दरवाज़े तक पहुँचते-पहुँचते हो सकता है आपको लगने लगे कि अस्पताल के भीतर जाने की अब ज़रूरत नहीं रही।
हृदयरोगियों के लिए आपात् स्थिति में एक बेहद आसान और कारगर नुस्ख़ा है। इसके प्रभाव पर आप भरोसा कर सकते हैं। जिन्हें हृदयाघात की आशङ्का रहती हो, उन्हें इस दवा की एक-दो पुड़िया जेब में रखनी चाहिए। कभी लगे कि घबराहट हो रही है, पसीना हो रहा है, हृदयस्थल में पीड़ा उठने लगी है, अचानक थकान-सी आ गई है…कहने का मतलब कि हार्ट अटैक वाले लक्षण पैदा हो रहे हों तो इस दवा की कुछ गोलियाँ जीभ पर रखकर चूसें। ज़रूरत लगे तो दस मिनट बाद दूसरी ख़राक भी ले सकते हैं। अस्पताल के दरवाज़े तक पहुँचते-पहुँचते हो सकता है आपको लगने लगे कि अस्पताल के भीतर जाने की अब ज़रूरत नहीं रही।
इस नुस्ख़े में बायोकैमी की तीन दवाएँ शामिल हैं–कल्केरिया फॉस, काली फॉस और नेट्रम म्यूर। तीनों 6X शक्ति में ले सकते हैं या चाहें तो काली फॉस 3X शक्ति में इस्तेमाल करें। तीनों दवाओं की दो-दो गोली एक साथ सेवन करनी है। इन्हीं दवाओं को मिलाकर विभिन्न कम्पनियाँ कॉम्बिनेशन-27 बनाती हैं। कॉम्बिनेशन-27 की एक शीशी घर में रख सकते हैं। कॉम्बिनेशन हो तो आपको चार-चार गोली की मात्रा इस्तेमाल में लानी है।
याद रखिए कि यह कोई हृदयाघात की दवा नहीं है। यह अचानक क्षीण हो रही जीवनी-शक्ति को वापस लाने की दवा है, इसलिए हृदयाघात की आपात स्थिति में भी काम करती है। इसे लगातार महीने-दो महीने ले सकते हैं, दिल की बीमारी के अलावा मानसिक थकान, युवाओं में कामशक्ति की कमी, वृद्धों की कमज़ोरी वग़ैरह में भी फ़ायदा पहुँचा सकती है। मुख्य काम इसका क्षीण हो रही जीवनी-शक्ति को उभारना और बनाए रखना है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। (22 जनवरी, 2020 फेसबुक)