माँ जैसी भाषा
मातृभाषा के साथ यह अजब रक्त सम्बन्ध है, सगापन है कि दूसरी किसी भाषा के साथ अपनेपन की तमाम कोशिशें
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पूरा पढ़ें...आधुनिकता के रङ्ग में रँगी माँएँ बहुत कम मिलेंगी जिन्हें लोरी की दो-चार पङ्क्तियाँ याद होंगी। आज की माँओं को
पूरा पढ़ें...मेरी नज़र में ‘लगान’ इतिहासबोध की फ़िल्म थी, यह हमें ज़िन्दगी के कुछ फलसफे सिखाती है। इतिहासबोध का एक रूप
पूरा पढ़ें...वर्तमान का आचरण लोक-लुभावन हो तो अतीत के ढेर सारे पाप धुल जाते हैं और वर्तमान का आचरण समाज में
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