उर्दू से आया तो हिन्दी में ‘बवाल’ हो गया
‘वबाल’ का अर्थ है—विपत्ति, आपत्ति, मुसीबत, जञ्जाल, झञ्झट। इसी के साथ फ़ारसी का जान मिलकर ‘वबालेजान’ बना है; यानी प्राणों
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पूरा पढ़ें...लेखक की चिन्ता इस बात की है कि भारतीय समाज-विज्ञान में विचारधाराओं का वर्चस्व रहा है, जिसके चलते राजनीति के
पूरा पढ़ें...दरअसल, हमारे रोज़मर्रा के आम व्यवहार में कोई परेशानी खड़ी नहीं होती, इसलिए हमें शायद भ्रष्ट हो रही भाषा का
पूरा पढ़ें...गान्धी के लिए स्वच्छता का मुद्दा कई अर्थों में आध्यात्मिक मसला भी था। भगवान से प्रेम के बाद वे स्वच्छता
पूरा पढ़ें...इसी देश में अँग्रेज़ी माध्यम के ऐसे विद्यालय खड़े हो रहे हैं, जहाँ हिन्दी बोलने पर अघोषित सेंसर है। ‘पापा-मम्मी’
पूरा पढ़ें...यदि हम, सृष्टि को जैसा चलना चाहिए, वैसा चलने देने में सहयोगी हैं, इस संसार में अपनी भूमिका कुशलता से
पूरा पढ़ें...मातृभाषा के साथ यह अजब रक्त सम्बन्ध है, सगापन है कि दूसरी किसी भाषा के साथ अपनेपन की तमाम कोशिशें
पूरा पढ़ें...आधुनिकता के रङ्ग में रँगी माँएँ बहुत कम मिलेंगी जिन्हें लोरी की दो-चार पङ्क्तियाँ याद होंगी। आज की माँओं को
पूरा पढ़ें...मेरी नज़र में ‘लगान’ इतिहासबोध की फ़िल्म थी, यह हमें ज़िन्दगी के कुछ फलसफे सिखाती है। इतिहासबोध का एक रूप
पूरा पढ़ें...वर्तमान का आचरण लोक-लुभावन हो तो अतीत के ढेर सारे पाप धुल जाते हैं और वर्तमान का आचरण समाज में
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