विमर्श

धर्म-संस्कृति-समाजविमर्श

एक असहाय स्त्री की ख़ातिर देश की जनता के नाम…

मैंने अपनी वेदना व्यक्त की है तो सिर्फ़ इसलिए कि जिन भी हाथों में यह खुला ख़त पहुँचे, वे ग़लतफ़हमियों

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पत्रकारिताविमर्श

हिन्दी पत्रकारिता का अन्धकार युग

(उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता—तीन) मानना पड़ेगा कि अयोध्या से सटे फ़ैज़ाबाद से छपने वाले ‘जनमोर्चा’ ने इस मुद्दे पर काफ़ी

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पत्रकारिताविमर्श

1954  का कुम्भ हादसा : खलनायक नेहरू या गोविन्द बल्लभ पन्त

(उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता—दो) उस ज़माने में जनसञ्चार माध्यमों का विकास बहुत कम था, इसलिए प्रशासन ने पूरी कोशिश यही

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पुस्तक-चर्चाविमर्शसाहित्य

रूढ़ छवियों के पार महाभारत के स्त्री पात्र

कभी-कभी कुछ किताबें ऐसी भी निगाह में आ जाती हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद लगता है कि तारीफ़ ही नहीं,

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